1.राजस्थान शिक्षक संघ अंबेडकर का उद्देश्य शिक्षक, शिक्षार्थी तथा शिक्षालय के हित में चिंतन करना
2.उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु आवश्यक उपाय करना व रचनात्मक सुझाव देना।
3.भारतीय संविधान में अपनी निष्ठा रखना एवं संविधान के अनुसार लोकतंत्र के विकास में सहयोग देना
4.भारत के समस्त नागरिक को विशेष रूप से अनुसूचितजाति जनजाति पिछड़ावर्ग अल्पसंख्यक वर्ग के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो इस हेतु प्रयास करना
5.अनुसूचितजाति जनजाति पिछड़ावर्ग अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं को उनके अधिकारों कर्तव्यों की जानकारी देना तथा राष्ट्र सेवा की भावना उत्पन्न करना
6.शिक्षक प्रणाली में सुधार एवं शिक्षा नीतियों की समीक्षा का अपने सुझाव शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय राज्य सरकार व केंद्र सरकार को देना
7.भारत के संविधान में वर्णित अनुसूचितजाति जनजाति पिछड़ावर्ग अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षकों को सूचित करना तथा उनके हितों के संवर्धन के लिए प्रयास करना
8. भारतीय लोकतंत्र की रक्षा और विकास में सहयोग देना |
9. शिक्षकों में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना
10. शिक्षकों को संगठित कर उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करना |
11. शिक्षकों के नागरिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों को विकसित करना
12. सभी स्तरों पर शिक्षक संगठनों से संपर्क स्थापित करना।
13. शिक्षा सम्बधी साहित्य की रचना करना |
हस्ताक्षर बदलने प्रक्रिया
1.राज्य कर्मचारी के हस्ताक्षर बदलने प्रक्रिया है व हस्ताक्षर हिन्दी मे हो या अंग्रेजी में संबंधित जानकारी !
कार्मिक सेवा काल में एक से अधिक बार हस्ताक्षर में बदलाव कर सकता है?
हस्ताक्षर में बदलाव के संभावित कारण?
सेवा पुस्तिका में हस्ताक्षर बदलने पर कैसे प्रमाणित करवाए?
उत्तर- राजकीय सेवा में हस्ताक्षर व्यक्ति की विशिष्ट पहचान होती है।
हस्ताक्षर का अर्थ है कि एक ऐसा निशान जिसको आपने कई बार बनाया हो। हस्ताक्षर बिलकुल बदले जा सकते हैं, कोई आदेश अपेक्षित नही हैं। सेवा पुस्तिका मे किये गये हस्ताक्षर का विभाग से अन्य जगह किये गये हस्ताक्षर से समान होना आवश्यक नहीं हैं।
राजस्थान सरकार के राजकीय आदेशानुसार सभी कार्मिको के हस्ताक्षर हिन्दी मे करना अनिवार्य माना है। यदि कोई कार्मिक किसी कारणवश या अज्ञानतावश यदि हस्ताक्षर हिन्दी मे नही कर रहा है तो उसे हस्ताक्षर बदलने का सुझाव दिया जाता है।
कई कार्मिक प्रारम्भ से ही या सेवा में आने के बाद हस्ताक्षर अंग्रेजी में कर रहे होते है उन्हें राजकीय आदेशो की पालना में अपने हस्ताक्षर हिन्दी भाषा मे करने की आवश्यकता होती है।
कई बार जोइनिंग के वक्त ही जानकर डीडीओ अथवा नियंत्रण अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर हिन्दी मे ही स्वीकार किये जाते है जिससे कार्मिको को भविष्य में सहूलियत रहती है।
हस्ताक्षर में बदलाव के संभावित कारण-👇
1. हस्ताक्षर हिन्दी मे नही होना।
2.सुरक्षा की दृष्टि से बदलाव।
3.समय के साथ हस्ताक्षर करने की शैली में आये बदलाव के कारण।
4.हस्ताक्षर का अधिक लंबा व क्लिष्ट होना।
इत्यादि कारणों से व्यक्ति हस्ताक्षर बदलने की चाह रखता है।
हस्ताक्षर में बदलाव-👇
1.हस्ताक्षर हिंदी में करने के आदेश जारी हुए थे।
2.उपस्थिति पंजिका में लघु हस्ताक्षर भी किए जा सकते है।
3. यदि अंग्रेजी में हस्ताक्षर कर रहे हैं तो DDO को हस्ताक्षर परिवर्तन हेतु प्रार्थना पत्र देकर उनसे नए हस्ताक्षर प्रमाणित करवाएं तथा सेवा पुस्तिका में भी नए हस्ताक्षर DDO से निर्धारित स्थान पर प्रमाणित करावे व चाहे तो उपस्थिति पंजिका लघु हस्ताक्षर कर सकते है।
आवेदन कर प्रमाणित कैसे करवाए-👇
1:-अपने DDO को लिखित में हस्ताक्षर बदलने हेतु प्रार्थना पत्र द्वारा आवेदन करें।
2:-DDO अनुमति देंगे एवं सेवापुस्तिका में नये हस्ताक्षर करवा कर उसे मय दिनांक प्रमाणित कर देंगे।
3:-सेवापुस्तिका में हस्ताक्षर प्रमाणित हेतु अलग से स्थान निर्धारित है।
4:-राज्य सरकार के निर्देश अनुसार सभी राज्य कर्मचारियों के हस्ताक्षर हिंदी में करना अनिवार्य है।
5:-सेवा पुस्तिका में नए हस्ताक्षर को DDO प्रमाणित करेंगे व प्रार्थना पत्र की प्रमाणित की हुई प्रति सर्विस फ़ाइल में रहेगी।
विशेष- हस्ताक्षर हिंदी में ही अनिवार्य है और DDO को प्रार्थना पत्र देकर , सर्विस बुक में कभी भी परिवर्तन करवाये जा सकते है।आवेदन कर प्रमाणित कैसे करवाए-👇
🚹सेवा पुस्तिका में प्रथमबार हस्ताक्षर प्रमाणित कराने वाले पृष्ठ में नीचे नोट अंकित है कि इस पृष्ठ के लेख (अंगुलियों व अंगूठे के निशानों को छोड़ कर) कम से कम पांच वर्ष बाद नवीनीकरण व पुनः प्रमाणीकरण किया जावे।पाच साल के बाद तो अति आवश्यक है चाहे तो पहले भी कर सकते है।
🚹नोट :यह पंक्तियां सेवा पुस्तिका में हस्ताक्षर वाले पेज के नीचे लिखी हुई मिलेगी।⬇️
इस पृष्ठ के लेख कम से कम प्रत्येक पाँचवें वर्ष नवीनीकरण तथा पुनः प्रमाणित होने चाहिए तथा 9 व 10 के खाने में हस्ताक्षर मय पद दिनाङ्क होना चाहिए। इस नियम के अन्तर्गत अंगुली की छाप नये सिरे से लेने की आवश्यकता नहीं है।